Bank License Cancelled: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए एक को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है, जिससे हजारों ग्राहकों की चिंता बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि RBI के इस फैसले का क्या असर पड़ेगा और आपके पैसों का क्या होगा।
RBI ने क्यों रद्द किया बैंक का लाइसेंस?
भारतीय रिजर्व बैंक ने जालंधर स्थित इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक (Imperial Urban Co-operative Bank) का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। RBI का कहना है कि बैंक के पास न तो (Capital Adequacy) है और न ही भविष्य में मुनाफा कमाने की संभावनाएं हैं।
RBI ने स्पष्ट किया है कि बैंक की मौजूदा वित्तीय हालत को देखते हुए उसका चालू रहना ग्राहकों के हितों के लिए खतरनाक है। यही वजह है कि बैंक को किसी भी प्रकार का बैंकिंग कारोबार (Banking Business) करने से रोक दिया गया है।
बैंकिंग सेवाओं पर लगा प्रतिबंध
लाइसेंस रद्द होते ही बैंक पर तत्काल प्रभाव से कई प्रकार की बैंकिंग सेवाएं बंद कर दी गई हैं। अब यह बैंक न तो किसी तरह की जमा स्वीकार कर सकता है और न ही पहले से जमा पैसों का भुगतान कर सकता है।
RBI ने पंजाब सरकार के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से अनुरोध किया है कि बैंक को बंद करने का आदेश दें और एक लिक्विडेटर (Liquidator) नियुक्त किया जाए, ताकि आगे की प्रक्रिया पूरी की जा सके।
ग्राहकों के पैसे का क्या होगा?
आरबीआई की इस कार्रवाई के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ग्राहकों के जमा पैसे (Depositors’ Money) का क्या होगा?
इसका जवाब है – डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC)। DICGC के नियमों के अनुसार, हर ग्राहक को 5 लाख रुपये तक की बीमित राशि (Deposit Insurance) मिलती है।
RBI के मुताबिक, इंपीरियल बैंक के 97.79% ग्राहकों की जमा राशि 5 लाख रुपये के अंदर है, यानी उन्हें पूरा पैसा वापस मिलेगा। 31 जनवरी, 2025 तक DICGC पहले ही ₹5.41 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है।
बैंक की खराब हालत के पीछे की वजह
इंपीरियल अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक की खराब हालत के पीछे कई कारण हैं – जैसे कि पूंजी की कमी, आय के साधनों की गिरावट और बढ़ती देनदारियां। यही कारण है कि यह बैंक लगातार घाटे में जा रहा था और ग्राहकों की जमा राशि लौटाने में भी असमर्थ था।